Special Report by-Jai Tiwari
चंदौली। चंदौली, वाराणसी और आसपास के जिलों में पिछले दो दशकों में एक नाम तेजी से उभरा—भानू जायसवाल. कभी सड़कों पर टेम्पो चलाकर गुजारा करने वाला यह व्यक्ति देखते ही देखते शराब, रियल एस्टेट और विवादित जमीनों के कारोबार में बड़ा खिलाड़ी बन गया. सूत्र बताते हैं कि उसकी तरक्की जितनी तेज हुई, उतनी ही गहरी उसके कारनामों की परतें भी हैं. कई मामलों में उसका नाम सामने आने के बावजूद वह लंबे समय तक कानून की पकड़ से बचा रहा. अब मुगलसराय के दवा कारोबारी रोहताश पाल हत्याकांड में गिरफ्तारी के बाद उसके पुराने विवाद फिर सुर्खियों में हैं. करीब पाँच वर्ष पहले सोनभद्र के नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश जायसवाल की हत्या में भी भानू का नाम सामने आया था. राकेश खनन और शराब के कारोबार में सक्रिय थे और इन क्षेत्रों में बढ़ते टकराव के बीच उनकी हत्या हुई थी. उस समय भी हत्या को ‘सुपारी किलिंग’ करार दिया गया था. ओमप्रकाश और उसके साले पर वर्ष 1976 मुग़लसराय कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था. जबकि भानू जायसवाल को वर्ष 2020 में चंदौली की सयैदराजा पुलिस ने जेल भेजा था.

लाटरी से मिली शराब की दुकानें और शुरू हुआ असली साम्राज्य–
नब्बे के दशक में आबकारी नीति के बदलाव के बाद जब शराब की दुकानों का आवंटन लॉटरी से होने लगा तो भानू की किस्मत खुल गई. उसे कई दुकानों के लाइसेंस मिले. इसी दौरान उसका संपर्क वाराणसी के प्रसिद्ध शराब और होटल कारोबारी जवाहर जायसवाल से हुआ. जानकारों के अनुसार जवाहर जायसवाल ने अपनी कई दुकानों का संचालन भी भानू को सौंपा. यहीं से भानू की कमाई की रफ्तार बढ़ी और कुछ ही वर्षों में उसने करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर ली. आज भी उसके पास देसी व विदेशी शराब की थोक लाइसेंस व्यवस्था और गोदाम उपलब्ध हैं, जहाँ से पूरे जिले में माल सप्लाई होता है.
अस्सी के दशक में चलाता था टेम्पो, सीमेंट के धंधे से कमाया पहला बड़ा पैसा—
भानू की शुरुआती कहानी बेहद साधारण है. लंका से गोदौलिया तक टेम्पो चलाकर उसने वर्षों तक रोज़गार किया. तेजी से आगे बढ़ने की चाह ने उसे ऑटो चलाने से दूर कर दिया. उसने नदेसर में ‘अजय सीमेंट एजेंसी’ नाम से दुकान खोली और कथित तौर पर सीमेंट की कालाबाज़ारी से तगड़ा पैसा कमाया. इसके बाद शराब के कारोबार में पैर जमाने के लिए उसने सीमेंट का काम छोटे भाई को सौंप दिया.

रियल एस्टेट में प्रवेश और विवादित ज़मीनों पर कब्ज़े का खेल–
शराब कारोबार में मज़बूत नेटवर्क बनने के बाद भानू जायसवाल की मुलाकात पूर्वांचल के एक प्रमुख कारोबारी परिवार से हुई. इसी कड़ी में उसकी पहुँच चौकाघाट, रोहनिया और सैयदराजा जैसे क्षेत्रों तक बढ़ी. चौकाघाट में उसने आवासीय परिसरों और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर करोड़ों का मुनाफा कमाया. बाद में इसी इलाके में उसने मॉल और रेस्टोरेंट भी खड़ा किया.
बताया जाता है कि वह कई विवादित जमीनों पर कब्ज़ा करने, फर्जी कागज़ात तैयार कराने और दबंगई के ज़रिये सौदे कराने के लिए बदनाम रहा है. रोहनिया क्षेत्र में एक हत्या के मामले में भी उसका नाम चर्चा में आया था.
कन्हैया टॉकीज की करोड़ों की जमीन और रोहताश पाल की हत्या–
मुगलसराय के चर्चित कन्हैया टॉकीज की लगभग 29 बिस्सा जमीन का मूल्य करीब 60 करोड़ बताया जाता है. पुलिस सूत्रों के अनुसार दवा व्यवसायी रोहताश पाल इस संपत्ति के वारिस थे. विवाद बढ़ने पर पहले समझौते की कोशिश की गई लेकिन जब बात नहीं बनी तो कथित तौर पर भाड़े के हत्यारों से रोहताश की हत्या करा दी गई. इसी मामले में भानू जायसवाल को चंदौली पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है.
इनसेट: आरोपितों का आपराधिक रिकॉर्ड–
मुगलसराय कोतवाली में दर्ज अपराध संख्या 13/76 के तहत ओमप्रकाश जायसवाल और उसके साले पर वर्ष 1976 में हत्या का मामला दर्ज हुआ था. दोनों को उसी प्रकरण में जेल भी जाना पड़ा था. इसके अलावा भानू जायसवाल पर सैयदराजा थाने में आबकारी एक्ट और साजिश से जुड़े मुकदमे (धारा 60/63/120बी) दर्ज हैं. वर्ष 2020 में इसी मामले में भानू को जेल भेजा गया था. चंदौली पुलिस अब जेल भेजे गए साजिशकर्काओं के अन्य आपराधिक इतिहास को भी कंगाल रही है.




