Report – Jai tiwari
चंदौली: पूर्वांचल में सक्रिय अपराधी नेटवर्क का खाका खंगालें तो चंदौली जिले में बीते एक दशक के अधिकांश संगीन मामलों की डोर लगातार गाजीपुर से जुड़ती दिखाई देती है. हाल के हाई-प्रोफाइल मामलों ने इस पैटर्न को एक बार फिर उजागर कर दिया है.
सबसे ताज़ा उदाहरण मुगलसराय में जिम संचालक की हत्या है, जिसमें पुलिस की जांच गाजीपुर के पेशेवर शूटरों तक पहुंची. इसी कड़ी में धानापुर में मुट्टून यादव की हत्या भी शामिल है, जहां शुरुआती छानबीन में गाजीपुर के अपराधियों की संलिप्तता खुलकर सामने आई. इन दोनों मामलों ने स्पष्ट कर दिया कि चंदौली में घटनाओं को अंजाम देने वाले गिरोह अक्सर गाजीपुर से संचालित होते हैं या वहीं से भाड़े के शूटर बुलाए जाते हैं.
साल 2023 बलुआ थाना क्षेत्र में एक युवक की हत्या कर कार लूट ली गई थी. इस घटना में शामिल बदमाशों के गाजीपुर से संबंध होने की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने दो जिलों के अपराध नेटवर्क पर विशेष नजर रखना शुरू किया. यह वारदात भी पुलिस की इस समझ को मजबूत करती है कि संगठित गिरोह लगातार जिलों की सीमाओं का इस्तेमाल सुरक्षित पनाहगाह की तरह कर रहे हैं.
जांच में सामने आए डेटा के अनुसार, पिछले दस वर्षों में चंदौली में हुए अधिकांश बड़े अपराध—चाहे वह हत्या हो, लूट हो या रंगदारी—अक्सर गाजीपुर के अपराधियों से जुड़े पाए गए. चर्चित सपन डे हत्याकांड हो या पहलवान यादव के हत्या के तार भी कहीं न कहीं गाजीपुर से जुड़े थे. केवल महरौरा में हुए चर्चित पंकज सिंह हत्याकांड में शूटर जौनपुर से थे, लेकिन बाकी लगभग सभी मामलों में पुलिस की जांच गाजीपुर जिले की ओर ही मुड़ती रही है.
सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि चंदौली की भौगोलिक स्थिति भी अपराधियों के लिए अनुकूल है. गाजीपुर की नजदीकी, सीमा क्षेत्रों की गतिविधियां और गिरोहों के पुराने नेटवर्क अपराधियों को लगातार सक्रिय बनाए रखते हैं. पुलिस अब ऐसे मामलों में इंटर-डिस्ट्रिक्ट समन्वय बढ़ाने पर जोर दे रही है ताकि दोनों जिलों के बीच सक्रिय अपराध चक्र को तोड़ा जा सके.
जिले में बढ़ती घटनाओं और गाजीपुर कनेक्शन ने स्थानीय कानून-व्यवस्था पर भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसके बाद पुलिस अब आपसी सूचनाओं के आदान-प्रदान और संयुक्त अभियानों को बढ़ाने की तैयारी कर रही है.




