Jai tiwari —
चंदौली। कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट में वांछित और महीनों से फरार चल रहा बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह आखिरकार यूपी एसटीएफ की गिरफ्त में आ गया। चंदौली जिले के कैथी गांव का रहने वाला आलोक सिंह मंगलवार को राजधानी लखनऊ से तकनीकी सर्वेक्षण और पुख्ता इनपुट के जरिए पकड़ा गया. वह कई आपराधिक मामलों—धमकी, मारपीट और वसूली—के चलते पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. सूत्रों के अनुसार, आलोक सिंह सरेंडर की तैयारी में था और इस सिलसिले में उसने एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण की अर्जी भी दाखिल की थी। उसी अर्जी पर कोर्ट में एसटीएफ को रिपोर्ट देनी थी, लेकिन उससे पहले ही टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. एसटीएफ की जांच में यह भी सामने आया है कि आलोक सिंह की लंबे समय से पूर्व सांसद धनंजय सिंह से करीबी रही है। इसी संबंध का फायदा उठाते हुए वह कफ सिरप तस्करी नेटवर्क के सक्रिय सदस्यों से संपर्क में था और गिरफ्तारी से बचने के लिए लगातार लोकेशन बदल रहा था। उसके कथित संबंधों की कुछ तस्वीरें पहले भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं, जिससे जांच और तेज हो गई थी. गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ आलोक सिंह से नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों और सप्लाई चैन के बारे में पूछताछ कर रही है। माना जा रहा है कि उसके खुलासे पर तस्करी सिंडिकेट के कई और नाम उजागर हो सकते हैं.
2006 में हुआ बर्खास्त, फिर धनंजय से बढ़ी करीबी और बन गया बाहुबली का दाहिना हाथ—
चंदौली के कैथी गांव में रहने वाले बर्खास्त सिपाही आलोक के पिता भी पुलिस विभाग में थें, पिता के नक्शे कदम पर चल कर आलोक ने भी उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में नौकरी हासली की, लेकिन सन् 2006 में उसे धमकी, मारपीट और वसूली के एक मामले में दोषी पाते हुए विभाग से बर्खास्त कर दिया गया. जिसके बाद से आलोक ने अपनी नौकरी के बहाली की दिलचस्पी खत्म कर दी और जुड़ गया बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय से… जिसके कुछ समय बाद ही अलोक गुपचुप तरिके से विभाग से लेकर जरायम जगत तक में धनंजय गिरोह के प्रतिनिधि के तौर पर काम करने लगा। सूत्रों पर विश्वास करें तो आलोक ने पुलिस विभाग के कई अधिकारी, इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाहियों को धनंदय सिंह के दरबार में सुगम व्यवस्था बनवाई थी, जिसका लाभ उन्हें मिलता था। कफ सिरप प्रकरण के मास्टरमाइंड शुभम के नेटवर्क को मजबूत करने में आलोक की बड़ी भूमिका थी. समाजिक तौर पर शुभम और उसके बाद अमित सिंह टाटा को लोग कफ सिरप तस्करी गिरोह का सरगना समझते थें, लेकिन इस गैंग की रीड़ की हड्डी बर्खास्त सिपाही आलोक था… अब उसके पकड़े जाने के बाद जरायम जगत से लगायत राजनीतिक गलियारे तक में कई चर्चाएं हो रही हैं। देखना है कि पुलिस इस मामले में आलोक से कितनी और कैसी जानकारी हासिल कर पाती है.




