Report–Jai tiwari
मुखबिर, ये शब्द आप सभी ने सुना होगा. इस पर फिल्म और वेब सीरीज भी बन चुकी है. एक दौर था जब पुलिस के पास टेक्निकल चीजों का सहारा नहीं होता तो पुलिस इन्हीं के सहारे घटनाओं का खुलासा करती थी लेकिन आज यह कड़ी टूट चुकी है. पुलिस टेक्निकल तौर पर मजबूत तो हुई लेकिन मुखबिर नेटवर्क में फेल हो चुकी है. शायद यहीं कारण है कि रोहिताश पाल हत्याकांड में पुलिस को ना तो आजतक हत्या का मोटिव पता चल पाया है और ना हत्यारे का …
पिछले एक दशक में पुलिसिंग में काफी परिवर्तन आया है. टेक्निकल रूप से मजबूत होती पुलिस के जमीन पर पकड़ कमजोर हो गई है. हत्या, चोरी और लूट की घटनाओं के खुलासे के लिए फोन डिटेल, सीसीटीवी, कॉल सुनने जैसी तकनीक तो है लेकिन मुखबिर तंत्र नहीं है. इसका नतीजा यह है कि जिले में अभी कई हत्याएं अबूझ पहली बनकर रह गई है.
आइए जानते हैं, अनसुलझी हत्याओं की कहानी
जिले के मुग़लसराय कोतवाली क्षेत्र में यह स्थिति पहली बार नहीं बनी है. चंधासी में बाइक मिस्त्री के हत्या मामले का अभी तक कोई खुलासा नहीं हो सका. इसी तरह दुल्हीपुर में वृद्ध महिला की गला रेतकर हुई हत्या में भी पुलिस अब तक खाली हाथ है. बात करें जनपद चंदौली के अन्य थानों की तो चकरघट्टा इलाके में सूटकेस में महिला की लाश, अलीनगर ताराजीवनपुर चाय विक्रेता हत्याकांड, बौरी माइनर इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री की हत्या सहित आधा दर्जन मामलों में कोई निर्णायक सुराग नहीं मिलने से परिजनों में रोष है.
इन घटनाओं के बीच दवा कारोबारी रोहिताश पाल हत्याकांड को छह दिन बीत चुके हैं. पुलिस को न शूटर का पता चल सका है और न ही साजिशकर्ताओं का. जांच में इतना आगे बढ़ा है कि शक की सुई बनारस के एक बिल्डर और मुगलसराय के एक सत्ताधारी के करीबी की ओर घूमी है, जिनसे पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है. हालांकि अब तक कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा है.
सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ की टीम भी मामले की तकनीकी जांच में जुटी है, मगर अब तक निर्णायक सफलता नहीं मिल सकी है. लगातार हो रही पूछताछ, सीसीटीवी फुटेज की जांच और मोबाइल सर्विलांस के बावजूद पुलिस के सामने एक स्पष्ट तस्वीर नहीं बन पा रही. सुरक्षा तंत्र पर उठ रहे सवालों के बीच स्थानीय लोगों में असुरक्षा की भावना भी बढ़ने लगी है.




