चंदौली। मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र के दुलहीपुर में गुरुवार शाम एक सड़क हादसे ने न सिर्फ एक घर का चिराग बुझा दिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि लोगों और तंत्र की इंसानियत अब कितनी खोखली हो चुकी है. सड़क किनारे खून से लथपथ 20 वर्षीय करन यादव जिंदगी और मौत से जूझता रहा, लेकिन मदद करने के बजाय लोग बस तमाशबीन बनकर मोबाइल से वीडियो बनाते रहे. वाराणसी से घर लौटते वक्त एफसीआई गोदाम के पास हुई दुर्घटना के बाद करन आधे घंटे तक तड़पता रहा. किसी ने आगे बढ़कर उसे अस्पताल नहीं पहुंचाया. आखिरकार आशीष चौहान नाम के युवक ने डायल 112 पर फोन किया तो पीआरवी कर्मी पहुंचे, लेकिन उनके पास सरकारी वाहन होने के बावजूद उन्होंने घायल को अस्पताल ले जाने की जगह सड़क पर खड़े होकर प्राइवेट गाड़ियों को रुकवाने की कोशिश की. अंत में टोटो से करन को राजकीय महिला चिकित्सालय मुगलसराय भेजा गया. वहां भी लापरवाही का सिलसिला जारी रहा. अस्पतालकर्मियों ने स्ट्रेचर तक नहीं दिया और घायल को भीतर ले जाने से मना कर दिया. जब तक आशीष ने जिद कर यातायात पुलिस कर्मियों से मदद ली, तब तक करन की सांसें थम चुकी थीं. करन यादव, मारुति नगर निवासी संजय यादव का इकलौता बेटा था। पिता की आंखों के सामने अब सिर्फ एक सवाल रह गया है — “क्या किसी की जान इतनी सस्ती हो गई है कि सड़क पर तड़पता इंसान भी किसी का दिल नहीं पिघला सकता?”
इस हृदयविदारक घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है. चंदौली एसपी आदित्य लांघे ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. लेकिन सवाल अभी भी हवा में गूंज रहा है — अगर उस वक्त किसी ने मदद की होती, तो क्या करन आज ज़िंदा होता?
यदि मौके पर पहुंचे पीआरवी कर्मी सरकारी वाहन से समय रहते करन को अस्पताल पहुंचा देते तो क्या अपने मां बाप का एकलौता चिराग करन की जान बच सकती थी? शायद हां, लेकिन दुर्घटना के बाद मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी और वहां खड़े लोगों की इनसानियत करन की मौत से पहले ही मर चुकी थी…..
सड़क दुर्घटना में घायल करन हार गया जिंदगी की जंग, और मौके पर खड़े लोगों व पुलिसकर्मियों की मर गई इंसानियत…खबर पढ़कर आप भी तमाशबीनों को कोसने पर हो जायेंगे मजबूर
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