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फर्जी SOG बनकर पीड़ित को पीटने वाले आकाश सिंह मोनू का मामला “पुलिस की जांच” तक सीमित, जुआड़ी- खाकी गठजोड़ की चर्चा हुई तेज- जाने क्या है पूरा मामला

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Published on: 4 November 2025, 7:51 am IST
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वाराणसी। रोहनिया थाना क्षेत्र के फरीदपुर ताल के पास चलने वाले जुआ फड़ की शिकायत करने पर युवक की पिटाई के मामले में आरोपी आकाश सिंह उर्फ मोनू पर अब तक कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक मोनू का कुछ पुलिसकर्मियों से गहरा साठगांठ है, जिसके चलते पूरे मामले को जांच के नाम पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. गौरतलब है कि नारायणपुर (मिर्जापुर) निवासी युवक ने आरोप लगाया था कि उसने वाराणसी में संचालित जुआ फड़ों की शिकायत की थी. इसी खुन्नस में 14 सितंबर को फरीदपुर निवासी आकाश सिंह उर्फ मोनू, हिमांशु सिंह, सुक्खू विश्वकर्मा, प्यारे पटेल व एक अज्ञात युवक ने फर्जी एसओजी (SOG) बनकर उसे बुलाया और अगवा कर जमकर पीटा. आरोपियों ने न केवल वीडियो बनाया बल्कि दोबारा शिकायत करने पर उसे वायरल करने की धमकी दी। बाद में बीएलडब्ल्यू चौकी पर जबरन सादे कागज पर हस्ताक्षर भी करवा लिए गए.
पीड़ित की तहरीर पर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ “जांच” की बात कही जा रही है। सूत्रों के अनुसार मोनू फरीदपुर ताल के पास लंबे समय से बुक का जुआ संचालित करता है और उसके फड़ पर रोजाना लाखों रुपये का दांव लगता है। आरोप है कि इस जुआ सिंडिकेट से जुड़े कुछ खाकीधारी और सफेदपोश भी आर्थिक लाभ पाते हैं, जिससे शिकायतें दबा दी जाती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की निष्क्रियता और आकाश सिंह मोनू के रसूख ने इलाके में भय का माहौल बना दिया है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या कमिश्नरेट प्रशासन वाकई में मामले को गंभीरता से लेकर आरोपियों पर कार्रवाई करेगा, या “जांच जारी है” जैसे पुराने रटे जवाबों से ही मामला निपटा दिया जाएगा!

स्थानीय पुलिस की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

जब पी सेवन न्यूज़ (P7 News) के प्रतिनिधि ने इस मामले में रोहनिया थाना प्रभारी से बात की तो उन्होंने सहजता से जवाब दिया—“मामले की जांच की जा रही है।” मगर सवाल यह है कि क्या जांच के नाम पर ही सब कुछ दफन कर दिया जाएगा? सवाल यह भी है कि जुआ फड़ संचालित करने वाले आकाश सिंह उर्फ मोनू के जगह किसी और ने फर्जी एसओजी बनकर कानून व्यवस्था से खिलवाड़ किया होता तो क्या होता? इलाके में चर्चा है कि अगर किसी साधारण नागरिक पर ऐसा गंभीर आरोप होता, तो पुलिस उसे तत्काल गिरफ्तारी कर चुकी होती, लेकिन आकाश सिंह मोनू पर हाथ डालने से पहले पुलिस को भी शायद किसी “संकेत” का इंतजार है।

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