वाराणसी। कार्तिक पूर्णिमा की पावन संध्या पर काशी की गंगा आरती की भव्यता और दिव्यता एक बार फिर दुनिया को मंत्रमुग्ध कर गई। प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित देव दीपावली महोत्सव में गंगा तट दीपों की दपदप, विद्युत झालरों की जगमग, सुरों की खनक और आतिशबाजी की चमक से स्वर्गिक आभा बिखेरता नजर आया। गोधूलि बेला में जैसे ही घाट पर हजारों दीप जल उठे, तो ऐसा लगा मानो सुरसरि स्वयं दीपों का चंद्रहार धारण कर धरती पर उतर आई हों। इस वर्ष का आयोजन शहीदों की स्मृति और ऑपरेशन सिंदूर के शूरवीरों को समर्पित रहा। गगनभेदी “हर हर महादेव” और “हर हर गंगे” के जयघोष के बीच मां गंगा की आरती ने हर दर्शक के मन को भावविभोर कर दिया। ब्राह्मणों के वेदपाठ के साथ आरंभ हुए अनुष्ठान में समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ‘बाबू महाराज’ और सचिव पं. दिनेश शंकर दुबे के संयोजन में सुमेरूपीठ शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती सहित अनेक गणमान्य जनों ने शास्त्रोक्त विधि से पूजन किया। इस अवसर पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, यूको बैंक और सिडबी के अधिकारियों ने मां गंगा का 151 लीटर दूध से अभिषेक कर गंगा निर्मलीकरण का संकल्प दोहराया। घाट की भव्य सजावट में 108 किलो की अष्टधातु निर्मित गंगा महारानी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें विदेशी फूलों के साथ देशी पुष्पों की छटा अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रही थी।
21 बटुकों ने की मां गंगा की आरती-21 रिद्धि-सिद्धियों ने किया वेद मंत्रों चारण
प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर देव दीपावली के विशेष पर्व पर मां गंगा की महाआरती में 21 बटुकों और 21 रिद्धि-सिद्धियों ने वेद मंत्रों के संग आराधना की, जबकि 21 बेटियों के नेतृत्व में दीप प्रज्वलन कर “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” का संदेश दिया गया। आरती के दौरान हजारों श्रद्धालु मां गंगा की अलौकिक छवि का दर्शन कर भावविह्वल हो उठे। वहीं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। मंच पर ख्यातिलब्ध कलाकार मनोज तिवारी, अमलेश शुक्ला, कन्हैया दुबे और प्रभुनाथ सिंह (दाढ़ी) ने अपने गीत-संगीत से माहौल को संगीतमय बना दिया।
केदार घाट पर दुग्धाभिषेक के बाद हुई मां गंगा की महाआरती
देव दीपावली पर्व के अवसर पर केदार घाट पर गंगोत्री सेवा समिति द्वारा पांच विशेष आरतियां कराई गईं। कार्यक्रम का संचालन नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने किया। आयोजन के समापन पर भारतीय सेना, पीएसी और राज्य पुलिस के शहीद जवानों की स्मृति में आकाशदीप समर्पित किए गए। इसके पूर्व 51 लीटर दूध से मां गंगा का दुग्धाभिषेक किया गया। जब घाट पर टिमटिमाते दीपों की आभा जागृत हुई तो श्रद्धा, संस्कृति और स्वाभिमान की रोशनी ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। गंगा की धारा में झिलमिलाते दीप, आकाश में छिटकती आतिशबाजी और जन-जन के हृदय में मां गंगा के लिए उमड़ती भक्ति एकाकार हो उठी।




